Wednesday, March 9, 2011

कभी थी मिलने की तमन्ना आपसे



आज न जाने क्यों आँखों में आँसू आ गया?
लिखते लिखते वो ख़्वाब याद आ गया?
कभी थी मिलने की तमन्ना आपसे...
न जाने क्यू ,आंसुओ में आपकी तस्वीर बन गयी.

1 comment:

Admin said...

सोचा बहुत सोचा

कुरसी पैर बैठ के सोचा ?

बीस्तर पर लेट के सोचा ?


टेबल पर चढ़ के सोचा ?

Computer पर ONLINE होते हुए भी सोचा ?

कीताबो में घुस कर सोचा ?

रात को मोर्नींग वाल्क करते हुए सोचा ?

बीना खाए सोचा ?

खा कर भी सोचा ?

पी कर भी सोचा ?

नहा कर भी सोचा ?

इतना सोचकर भी सोचा की इतना क्यूँ सोचा ????

कैसे सोचा ???? yaar simple दो शब्द ही तो

लीखने है

लो

u r good .....so rocking person..............

लोग कहते है की दोस्ती इतनी न करो की सर पे सवार हो जाये .
लेकिन हम कहते है की दोस्ती इतनी करो की दुश्मन को भी आप से प्यार हो जाये ..............

तुझे खोना भी मुश्कील है, तुझे पाना भी मुश्कील है !

तुझे खोना भी मुश्कील है, तुझे पाना भी मुश्कील है. जरा सी बात पर आंखें भीगो के बैठ जाते हो, तुझे अब अपने दील का हाल बताना भी मुश्किल है...