Tuesday, January 10, 2012

दिल से कोसिस की उसका नाम मिटाने की



फिर से ये मायूस अंधेरा छटने लगा तो अच्छा लगा,
ध्यान उनकी यादों से हटकर बटने लगा तो अच्छा लगा,
यु तो तैरने को बहुत हाथ पाँव मरे हमने,,,,,,
जब समंदर का पानी खुद ब खुद हटने लगा तो अच्छा लगा...
जो शख्स कहकर गए थे कि नफरत ह मुझसे
आज वही मेरा नाम रटने लगे तो अच्छा लगा,
दिल से कोसिस की उसका नाम मिटाने की,
ये नाम खुद ही मिटने लगा तो अच्छा लगा,
मोहब्बत का तूफान मुझे उडाता रहा यहाँ वहाँ,
ये तूफान मेरी बाँहों में सिमटने लगा तो अच्छा लगा
जिसकी वजह से आज मैं जलने को तैयार हूँ,
मेरी अर्थी से वो रोकर लिपटने लगी तो अच्छा लगा,
कोसिस नाकाम रही मैं फिर से जी सकू,
उसके छूने से साँस अटकने लगी तो अच्छा लगा.

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तुझे खोना भी मुश्कील है, तुझे पाना भी मुश्कील है !

तुझे खोना भी मुश्कील है, तुझे पाना भी मुश्कील है. जरा सी बात पर आंखें भीगो के बैठ जाते हो, तुझे अब अपने दील का हाल बताना भी मुश्किल है...