Tuesday, March 8, 2011

माँगा था प्यार में ज़िंदगी तुम से

 
एक एक कदम पे इतने इम्तिहान किस लिए
इतने सारे दर्द, और एक इंसान,किस लिए.
सब के अंदर अच्छा बुरा दोनों मौजूद हैं
अक्सर जीत जाता है शैतान किस लिए
मेरा नहीं है सब कुछ, है तेरा दिया हुआ
हो जाता है फिर किसी को गुमान किस लिए
माँगा था प्यार में ज़िंदगी तुम से,
पर दिया तूने प्यार में मौत किस लिए

1 comment:

Pankaj Frann SEO said...

really this is a fantastic blog sir!!!!!!!!!

तुझे खोना भी मुश्कील है, तुझे पाना भी मुश्कील है !

तुझे खोना भी मुश्कील है, तुझे पाना भी मुश्कील है. जरा सी बात पर आंखें भीगो के बैठ जाते हो, तुझे अब अपने दील का हाल बताना भी मुश्किल है...